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वायरल फीवर के कारण, लक्षण, जांच और इलाज

वायरल फीवर

 

वायरल फीवर, खास तौर पर बारिश के बाद, एक बड़े स्तर पर फैलने वाली बीमारी है| वायरल फीवर का अगर समय पर इलाज ना किया जाए तो ये दर्द और परेशानी का कारण बन जाता है और कई बार समय पर उपचार ना मिलने पर ये मरीज के लिए घातक भी बन जाता है| इस लेख में वायरल फीवर के लक्षण, इसकी पहचान के तरीके और इलाज पर चर्चा करेंगे|

वायरल फीवर क्या है?

जब किसी इंसान के शरीर का तापमान 98|6 फारेनहाइट यानी 37 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाता है तो ये वायरल फीवर कहलाता है|आमतौर पर वायरल बुखार वायरस के चलते शरीर में होने वाले स्थिति के कारण होता है| जब कोई वायरल इंफेक्शन शरीर पर हमला करता है तो शरीर का इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली इसे ठीक करती है| प्रतिरक्षा प्रणाली इस दौरान शरीर के तापमान को बढ़ाकर उसे बीमार करने वाले बैक्टीरिया के खिलाफ कम रहने योग्य बनाती है| संक्रमण के प्रकार और उसकी तीव्रता के आधार पर वायरल बुखार की अवधि कुछ दिन से लेकर कुछ हफ्तों तक रहती है|

वायरल बुखार कैसे फैलता है?

वायरल बुखार कई तरीकों से फैल सकता है| ये तरीके इस प्रकार हैं –

 

1. मच्छरों के जरिए बारिश के मौसम में

मच्छरों के जरिए भी वायरस संक्रमण तेजी से फैलता है क्योंकि मच्छर डेंगू और मलेरिया जैसे वायरस फैला सकते हैं| ऐसा वायरस संक्रमण तेज बुखार का कारण बनता है| ऐसे में ये जरूरी है कि मच्छरों के पनपने के ठिकाने जैसे ठहरा हुआ पानी ना रहने दिया जाए| बुखार होने पर सही टेस्ट करवाएं और डॉक्टर की सलाह लें|

2. भोजन

दूषित और संक्रमित भोजन से वायरल बुखार हो सकता है| वायरस को रोकने के लिए जरूरी है कि भोजन ताजा, साफ सुथरा, साफ माहौल में बना हो| इसके साथ साथ ये भी जरूरी है कि भोजन को सही तरीके से संग्रहित यानी स्टोर किया गया हो जिससे वायरल की सम्भावना काम हो जाए |

 

3. वायु से होने वाला संक्रमण

वायरस हवा के जरिए भी फैल सकता है| किसी के छींकने से वायरल संक्रमण हवा से फैल सकता है| वायरस हवा के जरिए लोगों के शरीर में प्रवेश करके संक्रमित कर सकता है| ऐसे में संक्रमण की सिचुएशन में लोगों को भीड़ भाड़ वाली जगह पर मास्क पहने की सलाह दी जाती है| मास्क की मदद से खांसने, छींकने से निकलने वाली बूंदों को सांस में जाने से रोका जा सकता है| हाल ही में कोविद वायरस भी वायु के कारण फैला था|

 

4. शरीर के तरल पदार्थों के जरिए

वायरल फीवर का वायरस दूषित सिरेंज यानी सुइयों और संक्रमित रक्त चढ़ाने से भी फैल सकता है| वायरस यौन गतिविधियों द्वारा भी संचारित हो सकता है|

वायरल फीवर के लक्षण

वायरल बुखार कई प्रकार का होता है और हर मरीज में उसकी गंभीरता भी अलग अलग होती है| जैसे रेस्पिरेटरी वायरल फीवर, हेमोरोजिक वायरल फीवर और न्यूरोलॉजिकल वायरल फीवर| वायरल बुखार में मरीज की स्थिति गंभीर होने से पहले बुखार के लक्षणों को पहचानना और उनका इलाज करना बहुत महत्वपूर्ण है| वायरल बुखार के लक्षण इस तरह हैं –

 

1. सांस संबंधी परेशानी

जब वायरल बुखार संक्रमण के चलते होता है तो ये सांस संबंधी परेशानियों जैसे खांसी, गले की खराश, छींक के लक्षण दिखाता है| कई बार स्थिति गंभीर होने पर मरीज की छाती में दर्द होता है और उसे सांस लेने में परेशानी होती है|

2. शरीर में दर्द

वायरल बुखार होने पर मरीज के जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होता है| मरीज को ठंड लगती है| शरीर को कमजोरी महसूस होती है और चिड़चिड़ाहट भी होती है| इसके साथ साथ मरीज को थकान महसूस होती है और चक्कर भी आते हैं| मरीज के पेट में तेज दर्द होता है, कई बार असहनीय सिर दर्द भी होता है|

 

3. पाचन संबंधी परेशानी

उबकाई (nausea) महसूस होना, बार बार उल्टी आना, दस्त लगना, भूख कम लगना वायरल इंफेक्शन के लक्षण हैं जो वायरल बुखार का कारण बनते हैं| डिहाइड्रेशन यानी निर्जलीकरण भी वायरस संक्रमण का एक लक्षण है| वायरल फीवर को बिगड़ने से रोकने के लिए जरूरी है कि मरीज को हाइड्रेट रखा जाए यानी उसके शरीर में पानी की कमी ना होने दी जाए|

जानलेवा लक्षण

वायरल बुखार की वजह से हो सकता है जैसे डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड, चिकेन्गुइंया| वायरल बुखार को यदि सही समय पहचान कर उपचार ना किया जाए तो गंभीर लक्षणों के रूप में प्रलाप, त्वचा पर तेजी से उभरने वाले चकत्ते के रूप में दिख सकते हैं| गंभीर स्थिति होने पर मरीज सांस, गुर्दे, लिवर फेलियर, नर्वस सिस्टम फेलियर और यहां तक कि कोमा में भी जा सकता है|

बच्चों में वायरल फीवर के लक्षण

नवजात और बच्चों में अगर वायरल फीवर 100 फॉरेनहाइट यानी 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है तो उनके शरीर में तेज दर्द, त्वचा पर लाल या बैंगनी रंग के रैशेज दिख सकते हैं| बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो सकती है| अगर बच्चे के शरीर में डिहाईड्रेशन हो या बच्चा कमजोरी फील कर रहा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए|

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

बुखार आने पर जल्द ही डॉक्टर की सलाह और सही जांच करवाना चाहिए| तेज और लगातार आने वाले बुखार में इलाज और देखभाल की जरूरत पड़ती है|

यदि कोई व्यक्ति वायरल बुखार के लक्षणों का शिकार है तो किसी भी तरह का इलाज करने से पहले उसे एक प्रोफेशनल चिकित्सक या डॉक्टर से संपर्क करके इसकी जांच करवानी चाहिए| भारत में वायरल बुखार की जांच के लिए कई तरह के टेस्ट मौजूद हैं| सटीक और त्वरित इलाज के लिए डॉ| लाल पैथलैब्स के साथ वायरल बुखार की जांच बुक करें|

 

FAQ

1. वायरल बुखार से कैसे बच सकते हैं?

नियमित रूप से हाथ धोकर, मच्छर और कीड़ों के काटने से बचाव करके वायरल बुखार से बचा जा सकता है| इसके साथ साथ स्वच्छ भोजन और स्वस्छ पानी का सेवन करके भी बुखार से बचा जा सकता है|

2. वायरल बुखार क्यों बिगड़ जाता है?

ज्यादा शारीरिक मेहनत, गर्म वातावरण में रहने और जरूरत से ज्यादा कपड़े पहनने पर वायरल बुखार गंभीर हो सकता है|

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