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सर्वाइकल कैंसर : कारण, लक्षण, प्रकार और जांच

Cervical Cancer

सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) जानलेवा कहे जाने वाले कैंसर का एक घातक और प्रचलित प्रकार है जो महिलाओं की गर्भाशय ग्रीवा (cervix) से शुरू होकर पूरे शरीर में फैल जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में सर्वाइकल कैंसर विश्व में महिलाओं को होने वाला चौथा सबसे आम कैंसर बन चुका है और ये तेजी से बड़ी आबादी को अपनी चपेट में ले रहा है। समय समय पर जांच (Periodic screening) करवाने से सर्वाइकल कैंसर का समय पर पता चल सकता है जिससे इसके इलाज में काफी मदद मिलती है। चलिए इस लेख में जानते हैं कि सर्वाइकल कैंसर क्या है। साथ ही जानेंगे इसका कारण, इसके लक्षण और जांच के बारे में सब कुछ।

सर्वाइकल कैंसर क्या है? (What is Cervical Cancer?)

सर्वाइकल कैंसर महिलाओं की गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स में फैलने वाला एक खतरनाक ट्यूमर है जो असामान्य कोशिकाओं के बढ़ने से विकसित होता है। गर्भाशय ग्रीवा योनि (vagina) से गर्भाशय (uterus) तक पहुंचने वाला संकीर्ण रास्ता है। जब गर्भाशय ग्रीवा की स्वस्थ कोशिकाएं (Cervix Cells) अपने डीएनए में म्यूटेशन (Mutation in DNA) के चलते प्री कैंसरस कोशिकाओं में बदल कर फैलने लगती हैं तो गर्भाशय ग्रीवा में सर्वाइकल कैंसर विकसित होने लगता है।

सर्वाइकल कैंसर का क्या कारण है? (What Causes Cervical Cancer?)

देखा जाए तो सर्वाइकल कैंसर के अधिकतर मामले एचपीवी (HPV) या ह्यूमन पेपिलोमावायरस (human papillomavirus) के चलते होते हैं। ह्यूमन पेपिलोमावायरस एक यौन संचारित वायरस (sexually transmitted virus) है जो गर्भाशय ग्रीवा के डीएनए में म्यूटेशन का कारण बनता है। एचपीवी के कारण गर्भाशय ग्रीवा के डीएनए में म्यूटेशन होता है और उसकी वजह से गर्भाशय ग्रीवा की स्वस्थ कोशिकाएं प्री कैंसरस कोशिकाओं में तब्दील हो जाती हैं। एचपीवी के कुछ ही स्ट्रेन (HPV Strains)यानी प्रकार ही सर्वाइकल कैंसर का कारण बनते हैं जिनमें एचपीवी 16 (HPV-16) और एचपीवी 18 (HPV-18) शामिल हैं। इसके अलावा पारिवारिक इतिहास, स्मोकिंग और मोटापा भी सर्वाइकल कैंसर के कारण माने जाते हैं।

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण क्या हैं? (What are the Symptoms of Cervical Cancer?)

अधिकतर मामलों में सर्वाइकल कैंसर का पता लगाना काफी मुश्किल होता है। दरअसल सर्वाइकल कैंसर के शुरूआती लक्षण शरीर पर कम ही दिखते हैं। इसके बाद दूसरे चरण के लक्षण जब दिखते हैं तो ज्यादातर महिलाएं इन लक्षणों को मासिक धर्म के दौरान होने वाला इंफेक्शन यानी संक्रमण समझ कर नजरंदाज कर देती हैं। सर्वाइकल कैंसर के ध्यान देने योग्य लक्षण इस प्रकार हैं –

 

  1. मासिक धर्म (menstruation) के दौरान, मैनोपॉज (menopause) के बाद या शारीरिक संबंध (sexual intercourse) बनाने के बाद योनि से असामान्य रक्तस्राव यानी ब्लीडिंग।
  2. समय समय पर योनि से असामान्य गंध वाला स्राव होना।
  3. शारीरिक संबंध बनाने के दौरान या यूरिन करते समय दर्द महसूस होना।
  4. पेल्विस एरिया (pelvis) या पीठ के निचले हिस्से में लगातार दर्द महसूस होना।
  5. पैरों में सूजन आ जाना।

सर्वाइकल कैंसर कितने प्रकार का होता है? (What are the Types of Cervical Cancer?) 

सर्वाइकल कैंसर तीन प्रकार का होता है –

 

  1. स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma) – ये सर्वाइकल कैंसर का सबसे आम प्रकार है। इस तरह का सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा की परत पर फैली बारीक कोशिकाओं यानी स्क्वैमस सेल्स (Squamous cell) से शुरू होता है। ये कोशिकाएं डीएनए म्यूटेशन के चलते असामान्य रूप से फैलने लगती हैं और प्री कैंसरस बन जाती हैं। इसलिए इस कैंसर को स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा कहा जाता है।
  2. एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma) – इस तरह का सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा में म्यूकस (Mucus) यानी बलगम पैदा करने वाली ग्रंथि कोशिकाओं में शुरू होता है। दरअसल गर्भाशय ग्रीवा की परत के एक हिस्से में ये कोशिकाएं बलगम बनाती हैं और यही बलगम गर्भाशय ग्रीवा और योनि की सुरक्षा करता है। जब ये कोशिकाएं असामान्य रूप से फैलने लगती हैं तो कैंसर विकसित होने लगता है।
  3. मिक्स्ड कार्सिनोमा ( Mixed carcinomas) – मिक्स्ड कार्सिनोमा के मामले सबसे कम दिखाई देते हैं। इस तरह के कैंसर में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और एडेनोकार्सिनोमा दोनों के ही लक्षण दिखते हैं। इसलिए कई जगह इसे एडेनोस्क्वैमस कार्सिनोमा भी कहा जाता है।

सर्वाइकल कैंसर की जांच किस तरह की जाती है? (How is Cervical Cancer Diagnosed?)

सर्वाइकल कैंसर के प्रारंभिक लक्षण अक्सर शरीर पर दिखाई नहीं देते हैं। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट 35 साल के बाद महिलाओं को नियमित जांच की सलाह देते हैं। समय समय पर जांच करवाने से सर्वाइकल कैंसर का जल्द पता लगाया जा सकता है जिससे इसका सही इलाज सुनिश्चित हो सके। सर्वाइकल कैंसर की जांच इस तरह होती है –

 

  1. पैप टेस्ट (Pap test) – पैप टेस्ट में गर्भाशय ग्रीवा से सेल्स को निकाल कर उनके डीएनए में किसी तरह के बदलाव की जांच की जाती है। इस टेस्ट में कोशिकाओं में ऐसे बदलाव पहचाने जाते हैं जो कैंसर का संकेत दे रहे हों।
  2. एचपीवी डीएनए टेस्ट (HPV DNA test) – एचपीवी डीएनए टेस्ट में सर्वाइकल कैंसर फैलाने के लिए जिम्मेदार एचपीवी स्ट्रेन से संभावित इंफेक्शन का पता लगाने के लिए गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं का टेस्ट किया जाता है।
  3. कोल्कोस्कोपी (Colposcopy) – यदि किसी महिला को सर्वाइकल कैंसर की आशंका है तो डॉक्टर लैब में गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं का सैंपल निकाल कर उसकी कोल्कोस्कोपी यानी जांच की सलाह देते हैं।

 

सर्वाइकल कैंसर का समय रहते पता चल सके इसलिए डॉक्टर 21 साल या उससे ज्यादा उम्र की महिलाओं को हर तीन साल के अंतराल पर पैप स्मीयर टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। इसके अलावा 35 साल और उससे ज्यादा उम्र की महिलाओं को भी हर पांच साल में हाई रिस्क वाला एचपीवी टेस्ट करवाना चाहिए। सर्वाइकल कैंसर का इलाज तभी संभव है जब इसके प्रारंभिक लक्षण पहचान में आ सकें। इसलिए नियमित जांच जरूरी है। सर्वाइकल कैंसर के वॉर्निंग साइन दिखने पर या इसके लक्षणों की पहचान के लिए डॉ. लाल पैथलैब्स से अभी कैंसर टेस्ट बुक करवाएं। ध्यान रहे टेस्ट करवाने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।

FAQ

 1. सर्वाइकल कैंसर के रिस्क फैक्टर्स क्या हैं? (What are the risk factors for cervical cancer?)

सर्वाइकल कैंसर के रिस्क फैक्टर्स में स्मोकिंग, एचआईवी (HIV), प्रारंभिक यौन गतिविधियां, बढ़ा हुआ वजन और पारिवारिक इतिहास जैसी कुछ चीजें शामिल है।

2.  सर्वाइकल कैंसर से कैसे बचा जा सकता है? (How can cervical cancer be prevented?)

सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ लिए जाने वाले कदमों में नियमित समय पर पैप परीक्षण, सुरक्षित यौन संबंध 9 से 14 वर्ष की लड़कियों के लिए एचपीवी वैक्सिनेशन, धूम्रपान से परहेज और मोटापे पर कंट्रोल करना शामिल है।

 

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