हेपेटाइटिस बी, कारण, लक्षण, जांच और इलाज
हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) एक गंभीर वायरल संक्रमण हैं जो सीधा लिवर को प्रभावित करता है। अगर समय पर इसकी पहचान और इलाज ना किया जाए तो ये संक्रमण सिरोसिस (cirrhosis) औऱ लिवर कैंसर (liver cancer) जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अकेले भारत में ही करीब 40 मिलियन लोग हेपेटाइटिस बी के संक्रमण से प्रभावित हैं। चलिए इस लेख में जानते हैं कि हेपेटाइटिस बी क्या है, इसके कारण, लक्षण और प्रभावी मैनेजमेंट के बारे में सब कुछ।
हेपेटाइटिस बी क्या है?
हेपेटाइटिस बी एक वायरस संक्रमण हैं जो एचबीवी (Hepatitis B Virus) बैक्टीरिया के कारण होता है। ये मरीज के लिवर यानी यृकत को खराब कर डालता है जिससे लिवर सही तरीके से अपना काम नहीं कर पाता है। हेपेटाइटिस बी का संक्रमण लंबे समय तक भी हो सकता है और ये अचानक भी हो सकता है।
हेपेटाइटिस बी दो तरीके से हमला करता है। एक एक्यूट हेपेटाइटिस बी (acute Hepatitis B) और दूसरा क्रोनिक हेपेटाइटिस बी (chronic Hepatitis B)। एक्यूट हेपेटाइटिस बी संक्रमण के तुरंत बाद असर दिखाता है और कई हफ्तों तक बना रहता है। दूसरी तरफ क्रोनिक हेपेटाइटिस बी मरीज के शरीर में धीरे धीरे लंबे समय के बाद विकसित होता है। इस स्थिति में लिवर के गंभीर रूप से डैमेज होने के रिस्क काफी बढ़ जाते हैं. आपको बता दें कि अगर सही समय पर पहचान और मैनेजमेंट ना संभव हो सके तो मरीज क्रोनिक हेपेटाइटिस बी, हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा और सिरोसिस जैसी गंभीर और जानलेवा लिवर संबंधी बीमारियों से घिर सकता है।
हेपेटाइटिस बी के क्या कारण हैं?
हेपेटाइटिस बी का संक्रमण हेपेटाइटिस बी के वायरस से आता है। ये वायरस संक्रमित मरीज के शरीर के फ्लुइड्स और लिक्विड यानी तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है। इस वायरस को फैलाने में ये तरीके शामिल हैं।
- ब्लड ट्रांसमिशन (Blood transmission) संक्रमित व्यक्ति के खून के संपर्क में आने से हेपेटाइटिस बी वायरस फैलता है। संक्रमित सीरिंज, संक्रमित खून चढ़ाए जाने के कारण ये दूसरे लोगों में फैल सकता है।
- मां से बच्चे को (Mother-to-child transmission) हेपेटाइटिस बी वायरस से संक्रमित गर्भवती महिला के जरिए ये उसके बच्चे तक फैल सकता है।
- असुरक्षित मेडिकल उपकरणों के जरिए (Unsafe medical practices) इलाज और सर्जरी के दौरान असुरक्षित और संक्रमित मेडिकल उपकरणों के जरिए भी ये दूसरे मरीज तक फैल सकता है।
आपको बता दें कि हेपेटाइटिस बी का वायरस शरीर के बाहर भी एक सप्ताह तक जीवित रह सकता है। इसलिए ये दूषित वातावरण में और ज्यादा खतरनाक रूप ले लेता है औऱ तेजी से संक्रमण फैलाता है।
हेपेटाइटिस बी के लक्षण क्या हैं?
हेपेटाइटिस बी के लक्षण संक्रमित मरीज में काफी देर से दिखते हैं। किसी व्यक्ति के हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होने के लगभग छह महीने के बाद इसके लक्षण दिखने लगते हैं। हेपेटाइटिस बी के शुरुआती लक्षण इस प्रकार हैं।
- थकान – मरीज को बिना ज्यादा काम किए भी हर वक्त थकान बनी रहने लगती है।
- भूख में कमी आना – मरीज की भूख एकाएक कम हो जाती है और कुछ खाते ही उल्टी जैसा महसूस होता है।
- उल्टी और मतली महसूस होना – मरीज को अक्सर उल्टी, मतली और सिकनेस का अहसास होता है।
- पेशाब का गहरा रंग – मरीज के पेशाब का रंग गहरा पीला दिखने लगता है।
- स्किन और आंखों के आस पास की त्वचा पीली दिखने लगना– मरीज की त्वचा और आंखों में पीलापन आ जाता है। इसे पीलिया (jaundice) भी कहते हैं।
- पेट में दर्द बना रहना – मरीज के पेट में दर्द बना रहता है।
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना – मरीज के हाथ पैरों और मांसपेशियों में दर्द बना रहता है. इसके साथ साथ शरीर के जोड़ भी दुखने लगते हैं।
हेपेटाइटिस बी की पहचान कैसे होती है?
हेपेटाइटिस बी के संक्रमण की पहचान के लिए ब्लड टेस्ट (blood tests)किया जाता है। इस ब्लड टेस्ट के जरिए शरीर में हेपेटाइटिस बी के वायरस और एंटीबॉडीज की पहचान की जाती है। दूसरी तरफ संक्रमण से लिवर को कितनी क्षति हुई है, इसकी जांच के लिए लिवर फंक्शन टेस्ट (liver function test), अल्ट्रासाउंड (ultrasound) और लिवर बायोप्सी (liver biopsies) की जाती है। इनके जरिए पता चलता है कि वायरस के चलते कितना लिवर संक्रमित हुआ है और उसे कितना नुकसान पहुंचा है।
हेपेटाइटिस बी का इलाज कैसे किया जाता है?
हेपेटाइटिस बी का इलाज नीचे दिए गए तरीकों से किया जाता है।
- रेगुलर ब्लड टेस्ट (Regular blood test) – हेपेटाइटिस बी के संक्रमण की निगरानी करने के लिए नियमित तौर पर ब्लड टेस्ट किया जाता है।
- सही लाइफस्टाइल और हेल्दी डाइट (good lifestyle and healthy diet) – लिवर के कामकाज को सुचारु रूप से चलाने के लिए उसकी सेहत को सही बनाए रखने के लिए सही और संयमित लाइफस्टाइल और हेल्दी डाइट की वकालत की जाती है. इससे लिवर की हेल्थ अच्छी बनी रहती है।
- स्मोकिंग और शराब से परहेज (avoids smoking and alcohol) – शराब और सिगरेट और अन्य तरह के धूम्रपान से पहरेज करके लिवर पर दबाव को कम किया जा सकता है।
- वैक्सिनेशन (Vaccination) – हेपेटाइटिस बी के जोखिम वाले इलाकों में टीकाकरण यानी वैक्सिनेशन के जरिए भी लोगों में इस वायरस का जोखिम कम किया जा सकता है।
- सुरक्षित आदतें (Practice safe habits)– संक्रमण रोकने के लिए सुरक्षित आदतों जैसे यूज की गई सीरिंज का उपयोग ना करना, कंडोम का यूज करना आदि से भी वायरस को फैलने से रोका जा सकता है।
हेपेटाइटिस बी एक गंभीर औऱ जानलेवा बीमारी है। अगर समय रहते इसकी पहचान ना की जाए तो ये सिरोसिर या लिवर कैंसर जैसे खतरे में बदल सकती है. अगर किसी को हेपेटाइटिस बी के संक्रमण के लक्षण दिख रहे हैं तो उसे तुरंत डॉक्टरी परामर्श लेना चाहिए। डॉक्टरी परामर्श के बाद हेपेटाइटिस बी की जांच के लिए डॉ. लालपैथलेब्स में टेस्ट बुक करें।
FAQ
1. क्या हेपेटाइटिस बी एक संक्रामक बीमारी है?
हेपेटाइटिस बी बहुत गंभीर संक्रामक बीमारी है। ये संक्रमण खून, वीर्य, बॉडी फ्लुइड्स, साझा सुई, वेजिनल फ्लुइड्स के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति में तुरंत फैल सकता है।
2. क्या हेपेटाइटिस की बीमारी ठीक हो सकती है?
क्रोनिक हेपेटाइटिस बी का कोई इलाज नहीं है। हालांकि एंटीबायोटिक और एंटीवायरल दवाओं की मदद से संक्रमण को मैनेज किया जा सकता है. इससे लिवर खराब होने के रिस्क भी कम हो सकते हैं। दूसरी तरफ एक्यूट हेपेटाइटिस बी कई बार बिना इलाज के भी अपने आप ठीक हो जाता है।