एचआईवी संक्रमण और एड्स
एचआईवी (Human Immunodeficiency Virus) एक ऐसा वायरल संक्रमण है जिसे समय पर मैनेज ना किया जाए तो ये जानलेवा बीमारी एड्स (AIDS) में बदल जाता है। एचआईवी (HIV) इंफेक्शन ज्यादातर मामलों में गंभीर साबित होता है। एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र के प्रोग्राम यूएनएड्स का कहना है कि अकेले भारत में ही एचआईवी इंफेक्शन के ढाई लाख से ज्यादा केस हैं। हालांकि जागरुकता और सजगता के चलते पिछले कुछ सालों में एचआईवी वायरस का प्रसार पहले की अपेक्षा कम हुआ है, फिर भी भारत और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ये स्वास्थ्य संबंधी चिंता का एक बड़ा विषय बना हुआ है। आपको बता दें कि चूंकि फिलहाल इसका कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है इसलिए ज्यादातर मामलों में एचआईवी संक्रमण जानलेवा साबित होता है। हालांकि अगर इस वायरस के शुरूआती लक्षणों को समय रहते पहचान लिया जाए तो एचआईवी वायरस के इलाज और मैनेजमेंट में मदद मिलती है।
क्या है एचआईवी संक्रमण?
एचआईवी वायरस का पूरा नाम ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी है। एचआईवी दरअसल ऐसा वायरस है जो शरीर में घुसकर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यूम सिस्टम को नष्ट कर देता है। शरीर में जाकर एचआईवी वायरस संक्रमण से लड़ने वाली जरूरी कोशिकाओं यानी सीडी 4 और टी सेल्स पर हमला करता है। आपको बता दें कि ये कोशिकाएं यानी सेल्स ही शरीर को संक्रमण से लड़ने में इम्यूम सिस्टम की मदद करती हैं. जब ये कोशिकाएं एचआईवी के हमले में नष्ट हो जाती हैं तो इम्यून सिस्टम सही तरीके से काम नहीं कर पाता और व्यक्ति किसी भी संक्रमण या बीमारी से लड़ने में नाकामयाब होने लगता है।
एचआईवी से जुड़ी बड़ी बात ये है कि ये शरीर में काफी लंबे समय तक छिपा रह सकता है और सालों तक शरीर में इससे जुड़े लक्षण तक नजर नहीं आते. लंबे समय तक शरीर में छिपे रहने के कारण वायरस एचआईवी एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (Acquired Immunodeficiency Syndrome) यानी एड्स में बदल जाता है। एड्स गंभीर लक्षणों वाली खतरनाक औऱ जानलेवा मेडिकल कंडीशन है।
कैसे फैलता है एचआईवी संक्रमण ?
एचआईवी संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के शरीर के कुछ फ्लुइड्स यानी तरल पदार्थों के जरिए स्वस्थ व्यक्ति में फैल जाता है।
ये फ्लुइड्स इस तरह हैं –
- खून (Blood)
- वीर्य (Semen)
- योनि और मलाशय के फ्लुइड्स (Vaginal and rectal fluids)
- मां के दूध के जरिए (Breast milk)
- असुरक्षित यौन संबंधों के जरिए (Unprotected sex)
- संक्रमित व्यक्ति को लगाई गई सीरिंज के जरिए (syringes)
- प्रेग्नेंसी और डिलीवरी यहां तक कि दूध पिलाने के जरिए भी ये मां से बच्चे तक फैल सकता है।
आपको बता दें कि आम धारणओं के विपरीत एचआईवी संक्रमण हाथ मिलाने या गले लगने से नहीं होता है।
एचआईवी संक्रमण के स्टेज (चरण) क्या हैं?
डॉक्टर एचआईवी संक्रमण को तीन चरणों में बांटते हैं. ये तीन चरण इस प्रकार हैं।
- तीव्र एचआईवी इंफेक्शन (Acute HIV Infection) – ये संक्रमण का शुरुआती चरण कहा जाता है। एचआईवी संक्रमण के शरीर में घुसने के 2 से चार सप्ताह के बाद इसके बेहद मामूली लक्षण दिखते हैं.। मरीज को बुखार और थकान महसूस होती है। उसके गले में खराश होने लगती है। चूंकि ये लक्षण किसी भी आम फ्लू की तरह दिखते हैं, इसलिए लोग इन्हें आमतौर पर नजरंदाज कर बैठते हैं।
- क्रोनिक एचआईवी इंफेक्शन (Chronic HIV Infection) – इसे क्लिनिकल लेटेंसी भी कहा जाता है। इस कंडीशन में वायरस शरीर में धीरे धीरे बढ़ता रहता है लेकिन इसके गंभीर लक्षण नहीं दिखते हैं। हालिंक इस चरण में मरीज के जरिए दूसरे लोगों के एचआईवी वायरस से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है।
- एड्स (Progression to AIDS) – अगर लंबे समय तक एचआईवी संक्रमण की पहचान ना हो तो शरीर एड्स जैसी खतरनाक बीमारी की चपेट में आ जाता है। इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम बिलकुल नष्ट हो जाता है और शरीर कैंसर जैसी बीमारी और अन्य गंभीर संक्रमणों के प्रति संवेदनशील हो जाता है।
एचआईवी वायरस की पहचान कैसे की जाती है?
एचआईवी वायरस की पहचान एचआईवी टेस्ट (HIV Tests) के जरिए की जाती है। आपको बता दें कि बीमारी को बढ़ने से रोकने और इसके सटीक मैनेजमेंट के लिए इस वायरस का समय रहते पता लगाना जरूरी है. एचआईवी टेस्ट इस प्रकार हैं।
- एंटीबॉडी टेस्ट (Antibody Tests) इस टेस्ट के जरिए एचआईवी से लड़ रहीं उन एंटबॉडीज का पता लगाया जाता है जिन्हें इम्यून सिस्टम प्रोड्यूस करता है।
- एंटीजन/एंटीबॉडी टेस्ट (Antigen/Antibody Tests) इस टेस्ट के जरिए एचआईवी की एंटीबॉडी और एंटीजन का पता लगाया जाता है. एंटीजन वो पदार्थ हैं जो इम्यून सिस्टम को एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
एचआईवी के लक्षणों की जल्द पहचान और उन्हें नियंत्रित करके मरीज के शरीर में एड्स बनने की प्रोसेस को रोका जा सकता है। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि समय रहते एचआईवी के लक्षणों की पहचान हो सके। एचआईवी संबंधित टेस्ट करवाने के लिए डॉ लाल पैथलैब्स में टेस्ट बुक करें. ध्यान रहे कि इससे पहले डॉक्टरी परामर्श जरूरी है।
FAQ
1. क्या एचआईवी वायरस का कोई इलाज है?
फिलहाल एचआईवी वायरस का कोई इलाज संभव नहीं है। हालांकि मेडिकल साइंस और रिसर्च के जरिए कुछ ऐसे ट्रीटमेंट संभव हुए हैं जिनके जरिए वायरस को नियंत्रित और प्रबंधित किया जा सके। एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (Antiretroviral therapy) जिसे एआरटी भी कहा जाता है, इस थेरेपी के जरिए एचआईवी से संक्रमित मरीज के शरीर में वायरल लोड को उस स्तर तक दबाने में मदद मिलती है जिससे वायरस लंबे समय तक ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाता है।
2. क्या मच्छर और कीट एचआईवी वायरस को फैला सकते हैं?
नहीं, ये संभव नहीं है. एचआईवी संक्रमण मच्छर या किसी अन्य कीट के जरिए नहीं फैल सकता है। एचआईवी वायरस केवल इंसानों के शरीर में फैलता है। वैज्ञानिक कहते हैं कि वायरस मच्छर या अन्य कीड़ों के शरीर में जिंदा नहीं रह सकता है। अगर मच्छर किसी एचआईवी संक्रमित मरीज को काटता है और उसके बाद वो किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वो संक्रमित खून को स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में नहीं डाल सकता है।
3. एचआईवी प्रेग्नेंसी को कैसे प्रभावित कर सकता है?
एचआईवी से संक्रमित महिला मरीज प्रेग्नेंसी, डिलीवरी या ब्रेस्ट फीड के जरिए एचआईवी संक्रमण को अपने बच्चों तक पहुंचा सकती हैं। हालांकि अगर समुचित मेडिकल इलाज और देखभाल की जाए तो मां से बच्चे में एचआईवी इंफेक्शन के रिस्क को काफी कम किया जाना पॉसिबल है।