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लिवर फेलियर – लक्षण, कारण, टाइप और रोकथाम

Liver Failure

यकृत (liver) यानी लिवर फेल होना किसी भी इंसान के लिए ऐसी गंभीर और जानलेवा मेडिकल कंडीशन है जिसमें लिवर सही ढंग से काम करने में नाकामयाब हो जाता है। जब लिवर पूर्णतः अपना काम करना बंद कर देता है, तो इसे लिवर फेलियर कहा जाता है। देखा जाए तो लिवर का मुख्य काम शरीर में खून को छानना यानी ब्लड फिल्टर (blood filter) करना, टॉक्सिन यानी विषाक्त पदार्थों (toxins) को शरीर से डिटॉक्सिफाई (detoxify) करना और पित्त (bile) के जरिए डाइजेशन यानी पाचन में सहायता करना है। इसके साथ साथ लिवर शरीर में ज्यादा पित्त बनने से भी रोकता है। ऐसे में लिवर की सही देखभाल के साथ साथ लिवर खराब होने के कारणों, लक्षणों और इलाज को सही तरीके से समझना काफी महत्वपूर्ण है।

लिवर फेलियर के क्या लक्षण हैं? (What are the Symptoms of Liver Failure?)

लिवर के फेल होने के लक्षण इसके अलग अलग कारणों के चलते कई प्रकार के होते हैं. अक्सर ये लक्षण लिवर के शरीर को डिटॉक्सिफाई करने की क्षमता पर निर्भर करते हैं। लिवर फेलियर के लक्षण इस प्रकार हैं –

 

  1. पीलिया (Jaundice) – आंखों और त्वचा का पीला पड़ जाना लिवर फेलियर का एक बड़ा लक्षण है।
  2. पेट में दर्द बना रहना (Abdominal pain) – मरीज के पेट में खासतौर पर दाईं ओर ऊपर की तरफ लगातार दर्द बना रहता है
  3. सूजन (Swelling) – मरीज के पेट और पैरों में सूजन आने लगती है।
  4. मतली और उल्टी (Nausea and vomiting) – मरीज को कुछ भी खाने पीने पर मतली और उल्टी आती है जो कभी कभी गंभीर हो जाती है।
  5. थकान (Fatigue) – मरीज बहुत थकान और कमजोरी महसूस करता है।
  6. भ्रम की स्थिति (Confusion) – मरीज को भ्रम होने लगता है। इस स्थिति को हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी (hepatic encephalopathy) कहा जाता है। इसकी वजह से मरीज के सोचने और समझने की क्षमता पर असर पड़ता है।
  7. यूरिन का गहरा रंग (Dark urine) – शरीर में बिलीरुबीन (bilirubin) अधिक बनने के कारण पेशाब का रंग गहरा हो जाता है।
  8. मल का पीला रंग (Pale stools) – शरीर में पित्त के फ्लो में रुकावट (bile obstruction) की वजह से मल का रंग पीला होने लगता है।

लिवर फेलियर के क्या कारण हैं? (What Causes Liver Failure?)

लिवर फेलियर के कई कारण हैं जिन्हें कई भागों में बांटा जा सकता है।

 

  1. क्रोनिक हेपेटाइटिस (Chronic Hepatitis) – क्रोनिक हेपेटाइटिस के चलते लिवर पर बुरा असर पड़ता है जिससे लिवर फेल होने खतरे बढ़ जाते हैं। क्रोनिक हेपेटाइटिस हेपेटाइटिस बी और सी (hepatitis B and C) जैसे वायरल इंफेक्शन (viral infection) की वजह से होता है।
  2. शराब का ज्यादा सेवन (Alcohol Abuse) – ज्यादा शराब पीने की वजह से भी लिवर पर बुरा असर पड़ता है और लिवर फेल हो सकता है।
  3. नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (Non-alcoholic Fatty Liver Disease -NAFLD)– इसे आमतौर पर फैटी लिवर कहा जाता है और ये लाइफस्टाइल संबंधी बीमारियों जैसे मोटापा (obesity) और डायबिटीज (diabetes) से जुड़ा हुआ है।
  4. दवाएं (medications) – कुछ दवाओं का ज्यादा या गलत उपयोग करने की वजह से भी लिवर फेल होने के खतरे बढ़ जाते हैं
  5. ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस (Autoimmune Hepatitis) – इस कंडीशन में इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली ही लिवर की कोशिकाओं पर हमला बोल देती है, जिससे लिवर फेल हो जाता है।
  6. जेनेटिक डिस्ऑर्डर (Genetic Disorders) – हेमोक्रोमैटोसिस (hemochromatosis) और विल्सन डिजीज (Wilson’s disease) जैसी कुछ आनुवांशिक बीमारियों के चलते भी लिवर फेल हो जाता है।
  7. टॉक्सिक पदार्थों के संपर्क में आना (Toxic Substances) – कई बार टॉक्सिक यानी कुछ विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने के कारण भी लिवर फेल हो जाता है।
  8. एक्यूट लिवर फेलियर (Acute Liver Failure) – किसी दवा के साइड इफेक्ट (drug toxicity) या फिर वायरल इंफेक्शन के चलते अचानक लिवर फेल हो सकता है।

लिवर फेल होने के कितने प्रकार हैं?

लिवर फेलियर को तीन प्रकारों में बांटा गया है।

 

  1. एक्यूट लिवर फेलियर (Acute Liver Failure) – इसकी शुरुआत अक्सर तेजी और एकदम से होती है। एक्यूट लिवर फेलियर कुछ दिनों या हफ्ते के भीतर हो जाता है। आमतौर पर ऐसी स्थिति तब आती है जब किसी दवा ने रिएक्ट किया हो या वायरल इंफेक्शन हुआ हो।
  2. क्रोनिक लिवर फेलियर (Chronic Liver Failure) – क्रोनिक लिवर फेलियर लंबे समय यानी महीनों और सालों में धीरे धीरे डेवलप होता है। इसका कारण लंबे समय तक शराब का अत्याधिक सेवन होता है।
  3. फुलमिनेंट लिवर फेलियर (Fulminant Liver Failure) ये एक्यूट लिवर फेलियर का ही एक गंभीर रूप है जिसमें लिवर बहुत तेजी के साथ खराब होता है।

लिवर फेलियर की जांच कैसे की जाती है। (How is Liver Failure Diagnosed?)

लिवर फेलियर की जांच के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जाते हैं।

 

  1. ब्लड टेस्ट (Blood Tests) – ब्लड टेस्ट के जरिए शरीर में एंजाइम और बिलीरुबीन (bilirubin) के स्तर (enzyme levels) के स्तर का आकलन करने के लिए लिवर फंक्शन टेस्ट यानी एलएफटी (LFT) किया जाता है।
  2. इमेजिंग स्टडीज (Imaging Studies) – लिवर की मौजूदा हालत और उसमें आई खराबी का जायजा लेने के लिए अल्ट्रासाउंड (Ultrasound), सीटी स्कैन (CT scans) और एमआरआई (MRI) की जाती हैं।
  3. लिवर बायोप्सी (Liver Biopsy) – ये एक सर्जरी है जिसमें लिवर के टिश्यू यानी ऊतक के एक टुकड़े को निकाल कर लिवर की खराबी का पता लगाया जाता है।

लिवर फेलियर का रोकथाम कैसे होता है ? (How to Treat Liver Failure?)

लिवर फेलियर के मैनेजमेंट के लिए रोकथाम के कई तरीके अपनाए जाते हैं।

 

  1. दवाएं (medications) – लिवर खराब होने के कारणों का पता लगाकर इसके लक्षणों को ठीक करने के लिए दवाएं दी जाती हैं
  2. लाइफस्टाइल में बदलाव (lifestyle changes) – मरीज के लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव किए जाते हैं, जैसे शराब का सेवन कम करना, वेट कंट्रोल या लूज करना और डाइट में ऐसे सुधार करना जिससे लिवर की सेहत सही रह सके।
  3. मेडिकल प्रोसीजर (medical procedures) – इसके तहत पेट में जमा फ्लुइड यानी तरल पदार्थ निकालने के लिए पेरासेनिटेसिस प्रोसीजर (paracentesis) किया जाता है।
  4. लिवर ट्रांसप्लांट (liver transplant) – लिवर फेल होने के गंभीरतम मामलों में, जहां दूसरे इलाज बेअसर हो जाते हैं, लिवर ट्रांसप्लांट यानी लिवर का प्रत्यारोपण किया जाता है।
  5. सपोर्टिव केयर (supportive care) – इस प्रोसेस में लिवर की जटिलताएं जैसे इंफेक्शन, ब्लीडिंग और इलेक्ट्रोलाइट के असंतुलन (electrolyte imbalances) को मैनेज किया जाता है।

देखा जाए तो अलग अलग कारणों और लक्षणों के साथ लिवर फेलियर एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है। इसका सही मैनेजमेंट और प्रभावी इलाज जल्द से जल्द जांच पर निर्भर करता है। सटीक और त्वरित जांच के लिए डॉ. लाल पैथलेब्स के साथ एलएफटी टेस्ट (LFT test) बुक करें। ध्यान रहें कि टेस्ट से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूरी है।

FAQs

क्या लिवर की बीमारी ठीक हो सकती है? (Can liver disease be cured?)

लिवर की बीमारी का इलाज लिवर फेलियर के प्रकार और बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। हालांकि कुछ केस संभाले जा सकते हैं या फिर कंडीशन बदली यानि रिवर्स की जा सकती हैं, जबकि बाकी स्थितियों में लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है।

लिवर डैमेज को कैसे ठीक किया जा सकता है? (How to repair a damaged liver?)

लिवर को खराब करने वाले कारणों का मैनेजमेंट करके, लाइफस्टाइल में बदलाव करके, अल्कोहल कम करके और कुछ दवाओं की मदद से लिवर को दुरुस्त किया जा सकता है। गंभीर मामलों में लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।

 

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