टाइप 2 डायबिटीज – कारण, लक्षण और बचाव के आसान तरीके
डायबिटीज (Diabetes) यानी मधुमेह जिसे आम भाषा में शुगर भी कहा जाता है. इस मेडिकल कंडीशन में शरीर में ब्लड शुगर का स्तर अनियमित हो जाता है। डायबिटीज दो प्रकार की होती है. टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes)। टाइप 1 डायबिटीज जहां आनुवांशिक होती है वहीं टाइप 2 डायबिटीज में आनुवांशिक के साथ साथ असंतुलित लाइफस्टाइल, मोटापा, एक्सरसाइज में कमी और गलत डाइट मुख्य भूमिका निभाती है। टाइप 2 डायबिटीज अक्सर धीरे धीरे विकसित होती है और इसके लक्षण कई वर्षों में जाकर दिखते हैं। अगर इसके लक्षणों पर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो गंभीर सेहत संबंधी बीमारियां शरीर को घेर सकती हैं। अच्छी बात ये है कि समय पर इसके लक्षणों को पहचान कर अगर बचाव के तरीके अपनाए जाएं तो टाइप 2 डायबिटीज से बचाव किया जाना संभव है। अगर नियमित हेल्थ चेकअप कराते रहें तो जल्द होने वाली ये बीमारी की शुरूआत टल सकती है या इसमें देर हो सकती है। चलिए इस लेख में जानते हैं कि टाइप 2 डायबिटीज का क्या कारण हैं। साथ ही जानेंगे, इसके लक्षण और बचाव को आसान तरीकों के बारे में सब कुछ।
टाइप 2 डायबिटीज के क्या कारण है? (What Causes Type 2 Diabetes?)
टाइप 2 डायबिटीज आनुवांशिक होने के साथ साथ लाइफस्टाइल से जुड़े कारणों के चलते भी विकसित हो सकती है. इसके कारण इस प्रकार हैं –
- इंसुलिन रेसिस्टेंस (Insulin Resistance)– शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस यानी इंसुलिन के प्रतिरोध के चलते भी टाइप 2 डायबिटीज होती है। इस दौरान शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं, इससे शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है।
- मोटापा (Obesity) – टाइप 2 डायबिटीज की दूसरी सबसे बड़ी वजह है मोटापा. शरीर का ज्यादा वजन खासतौर पर पेट के आस पास की बढ़ी हुई चर्बी इंसुलिन रेसिस्टेंस के खतरे को काफी बढ़ा देती है।
- फिजिकल एक्टिविटी की कमी (Physical Inactivity) – निष्क्रिय लाइफस्टाइल यानी नियमित तौर पर फिजिकल एक्टिविटी ना करना भी शरीर में ब्लड शुगर के प्रभावी मैनेजमेंट को कठिन बना देता है। इससे ब्लड शुगर लगातार बढ़ता रहता है।
- आनुवांशिक कारण (Genetics) – अगर किसी के परिवार में किसी को टाइप 2 डायबिटीज है तो दूसरे सदस्यों को टाइप 2 डायबिटीज होने के चांस बढ़ जाते हैं।
- अनहेल्दी डाइट (Unhealthy Diet) – ज्यादा चीनी, प्रोसेस्ड फूड. रिफाइन्ड कार्बोहाइड्रेट वाले फूड्स का ज्यादा सेवन करने से शरीर का वजन भी बढ़ता है और इससे शरीर में ब्लड शुगर का स्तर भी बढ़ जाता है।
टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण क्या हैं? (What are the Symptoms of Type 2 Diabetes?)
टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण अक्सर धीरे धीरे सालों में विकसित होते हैं. कई लोग इस बीमारी के बारे में सालों तक नहीं जान पाते और जब बीमारी बढ़ जाती है, तब जाकर उनको पता चलता है. इसके प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं –
- ज्यादा प्यास लगना – व्यक्ति को बार बार और ज्यादा प्यास लगती है
- बार बार पेशाब आना – व्यक्ति को बार बार पेशाब आता है
- भूख बढ़ जाना – व्यक्ति की भूख बढ़ जाती है और बार बार कुछ खाने का मन करता है
- वजन कम होना – व्यक्ति का वजन कम होने लगता है.
- थकान औऱ चिड़चिड़ापन – व्यक्ति को भारी कामकाज न करने के बावजूद थकान होने लगती है और उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है
- धुंधली नजर – व्यक्ति की नजर धुंधली हो जाती है और उसे कम दिखने लगता है
- घाव भरने में देर लगना – व्यक्ति को चोट लगने पर उसका घाव भरने में देर लगने लगती है. उसका शरीर बार बार संक्रमण की चपेट में आने लगता है
- स्किन का कालापन – व्यक्ति की त्वचा गहरे रंग की होने लगती है. गर्दन और अंडरआर्म्स के आस पास के क्षेत्र की स्किन काली पड़ जाती है. इस सिचुएशन को एकैन्थोसिस नाइग्रिकन्स (acanthosis nigricans) कहते हैं
टाइप 2 डायबिटीज को रोकने के आसान तरीके क्या हैं? (What are the Easy Ways to Prevent Type 2 Diabetes?)
टाइप 1 डायबिटीज की तुलना में टाइप 2 डायबिटीज के साथ राहत की बात ये है कि लाइफस्टाइल में स्वस्थ बदलाव करके इस बीमारी को रोका या इससे बचा जा सकता है. टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क को कम करने के लिए कुछ तरीके इस प्रकार हैं –
- वजन को नियंत्रित रखना (Maintain a Healthy Weight) – वजन को कंट्रोल करके टाइप 2 डायबिटीज से बचा जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति का वजन ज्यादा है तो वो अपने वजन में 7 से 10 फीसदी कमी करके इस बीमारी की प्रोग्रेस को प्रभावी ढंग से रोक सकता है।
- बैलेंस्ड डाइट (Adopt a Balanced Diet) – अपनी डाइट को सही तरीके से मैनेज करके भी टाइप 2 डायबिटीज के खतरों को कम किया जा सकता है। बैलेस्ड डाइट यानी संतुलित आहार जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, अनप्रोसेस्ड फूड्स को डाइट में एड करने से फायदा होगा। इसके साथ साथ चीनी और रिफाइन्ड कार्बोहाइड्रेट पेय, ट्रांस फैट के सेवन से दूरी बनाने से भी टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम होता है।
- फिजिकल एक्टिविटी (Stay Physically Active) – शारीरिक रूप से सक्रिय रहकर यानी फिजिकली एक्टिव रहकर टाइप 2 डायबिटीज से बचा जा सकता है। इसके तहत सप्ताह में पांच दिन कम से कम 30 मिनट की मीडियम एक्सरसाइज करनी चाहिए। इसमें ब्रिस्क वॉक यानी तेज चलना, साइकिल चलाना लाभदायक साबित होता है। दरअसल फिजिकली एक्टिव रहकर इंसुलिन रेसिस्टेंस में सुधार किया जा सकता है और इससे वजन को भी कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
- नियमित चेकअप (Regular Health Check-ups) – नियमित रूप से ब्लड शुगर के स्तर की जांच से प्रीडायबिटीज का जल्दी पता चलता है। इससे व्यक्ति समय रहते टाइप 2 डायबिटीज के खतरों से पहले ही बचाव कर पाने में सक्षम हो पाता है।
टाइप 2 डायबिटीज एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है जिसका सही समय पर इलाज ना किया जाए तो गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. हालांकि अगर समय रहते इस बीमारी का पता लगा लिया जाए और लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव किए जाएं तो टाइप 2 डायबिटीज के खतरे रोके या कम किए जा सकते हैं. अगर किसी व्यक्ति में टाइप 2 डायबिटीज से जुड़े लक्षण दिख रहे हैं तो डॉ. लालपैथलैब्स में डायबिटीज टेस्ट बुक करना चाहिए. ध्यान रहे टेस्ट से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें.
FAQ
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टाइप 2 डायबिटीज के लक्षणों को कैसे रोका जा सकता है?
टाइप 2 डायबिटीज के लक्षणों को रोकने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना जरूरी है. हेल्दी लाइफस्टाइल में बैलेंस्ड डाइट, नियमिन एक्सरसाइज, वजन को कंट्रोल में रखना और तनाव पर काबू रखना शामिल है.
2. टाइप 2 डायबिटीज का मुख्य कारण क्या है?
टाइप 2 डायबिटीज का मुख्य कारण शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस यानी इंसुलिन प्रतिरोध है. इंसुलिन रेसिस्टेंस मोटापे, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, बढ़ता तनाव, अनहेल्दी डाइट और कई बार आनुवांशिक कारणों के चलते होता है.